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मंदिर निर्माण

फुलेरा धाम मन्दिर की स्थापना

श्री गुरुजी के द्वारा प्रदत्त कार्य एवं उनके निर्देशन में होने वाले शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक लाभ को देखते हुए, भक्तजनों में, बालाजी मंदिर स्थापित करने की भावना तीव्र होने लगी। भूमि की खोज का कार्य प्रारंभ हुआ। तत्पश्चात कुछ लोगों द्वारा, उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत में धौली प्याऊ के समीप, दादी महाराज जी के मंदिर परिसर में भूमि अर्जन का प्रस्ताव गुरुजी के पास आया। यह भूमि, ग्राम प्रधान फुलेरा द्वारा ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित करवा कर श्री गुरुजी को सौंप दी गई। भूमि अर्जन के पश्चात दिनांक 9 अप्रैल, वर्ष 2009 में मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन पश्चात आधारशिला रखी गई।

रोमांचक तथ्य

भूमि पूजन एवं आधारशिला से पहले उपयुक्त भूखंड पर एक विशाल वटवृक्ष जिसकी आयु ग्रामीणों द्वारा लगभग 300 (तीन सौ) वर्ष बताई जाती है, स्थिर खड़ा था। किसी भी सनातनी द्वारा इन वृक्षों (जो कि पूजनीय हैं) की कटाई को, महा पाप माना जाता है। अब समस्या उपस्थित थी कि मंदिर निर्माण कैसे होगा। हमारे गुरुजी ने कहा, “जैसी बालाजी की इच्छा, मंदिर निर्माण यहीं होगा”। कुछ दिनों पश्चात हल्की सी आँधी आई और यह विशाल वटवृक्ष साधारण वृक्ष की तरह उखड़ कर पृथ्वी पर धराशायी हो गया। इस वृक्ष की आयु का दूसरा वट वृक्ष लगभग १०० मीटर की दूरी पर परिसर में शान से खड़ा है। ग्रामीणों द्वारा, वटवृक्ष के धराशाई होने को आश्चर्यजनक माना जाता है।

मूर्ति स्थापना

अब भव्य मूर्ति की स्थापना का कार्य शेष रह गया था। इस कार्य को सफल करने के लिए, मूर्ति को, विशेष निरीक्षण में दौसा, राजस्थान से बनवा कर मंगवाया गया। पंडितों के निर्देशन में कराई गई बाबा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन एक सप्ताह चला। श्री बालाजी महाराज की मूर्ति दक्षिण मुखी है जिसका पंडितों एवं गुरुजनों द्वारा विशेष महत्व बताया गया है। यह विशेष फलदाई भी होता है।


महत्व

निर्माणाधीन बालाजी मंदिर फुलेरा धाम में अखंड ज्योति प्रज्वलित है, जिसे हमारे गुरुजी एवं संगत परिवार के सदस्य, श्री मेहंदीपुर बालाजी जी (राजस्थान) से ग्रहण करके अनवरत अथक पदयात्रा द्वारा 325 किलोमीटर दूरी तय करके लाए थे। पदयात्रा, राजस्थान से हरियाणा सीमा पार कर, दिल्ली में प्रवेश कर, उत्तर प्रदेश सीमा से होते हुए वर्तमान मंदिर पर पहुँची और अखण्ड ज्योति को उत्साह, कीर्तन-संकीर्तन द्वारा स्थापित किया गया।

कार्य

बालाजी मंदिर फुलेरा धाम में समय-समय पर धार्मिक आयोजन संपन्न किए जाते हैं, जिसमें श्री हनुमान जन्मोत्सव, कृष्ण जन्माष्टमी और दीपावली प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, सुंदरकाण्ड का पाठ एवं संकीर्तन भी करवाया जाता है, जिससे हमारे संगत परिवार के अतिरिक्त आसपास के गाँव से धार्मिक प्रवृत्ति के लोग सम्मिलित होते हैं।

श्री बालाजी की मूर्ति का प्रतिमाह चोला चढ़ाया जाता है। यह चोला, प्रायः सोने के वर्क का होता है एवं कभी-कभी चाँदी के वर्क का प्रयोग होता है। उस दिन भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है।